मेरी खामोशियाँ अक्सर चाँद से बातें करती है.
रात की चादर तले बेचैन सी बातें करती है.
परत दर परत खुलते जाते है कई ऱाज मेरे.
चाँद की रौशनी इसी से तो बढ़ती जाती है.
मेरी प्यारी बातों से ही तो चाँद का पोषण होता है .
जिससे चाँद का तन्हा जीवन रोशन होता है.
पर उसके जीवन में भी तो काल रात्रि आती है.
जब दुबक जाता है चाँद तो मुझे उबकाई सी क्यों होती है.
जब पुनः वह चाँद बुलाने पे मेरे , निकालता चंद्कोर बन ,
रौशनी मध्यम होती है , फिर से बातें होती है
वह चहकता है , महकता है , धीरे - धीरे बड़ा होता है
फिर वह रात आती है , जब चाँद की तारीफ होती है
चांदनी मुझसे जलती है , तभी तो टिमटिम करती है.
पर ऐ चांदनी ना हो नाराज हमसे,
हम तो बस एक दूसरे के गम बाँट लेते है
कुछ चाँद हस लेता है ,कुछ में मुस्कुरा लेती हुं
कुछ वो रो लेता है कुछ में रो लेती हुं
कुछ ज़ख्म वो सी लेता है कुछ ज़ख्म मैं बयां करती हुं
कुछ वो ताज़ा हो जाता है कुछ मै हल्का महसूस करती हुं
बातों बातों में रात यू ही गुज़र जाती है
हम दोनों की यू ही रातों में बातें होती है
मेरी खामोशियाँ अक्सर चाँद से बातें करती है
बहुत ही अच्छा लिखा है
जवाब देंहटाएंआगे भी लिखते रहो
bahut bahut dhanyawad sandeep ji ......
जवाब देंहटाएं